आध्यात्मिक भारतीय हिंदी शांति और सुख की खोज

आध्यात्मिक भारतीय हिंदी शांति और सुख की खोज

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं हरहु कलेश विकार॥ कोकिलानां स्वरो रूपं नारीणां रूपमर्हताम्। विद्यायाः रूपमक्षरं काष्ठस्य रूपमग्निना॥ आकाशे यान्ति मेघाः तथा सुहृदः पथि। सुखदुःखस्य रूपेण विदधति शुभाशुभम्॥

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श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं हरहु कलेश विकार॥ कोकिलानां स्वरो रूपं नारीणां रूपमर्हताम्। विद्यायाः रूपमक्षरं काष्ठस्य रूपमग्निना॥ आकाशे यान्ति मेघाः तथा सुहृदः पथि। सुखदुःखस्य रूपेण विदधति शुभाशुभम्॥